Thursday, October 30, 2008

happy deepawali

दीपक एक जलाना साथी गुमसुम बैठ न जाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!सघन कालिमा जाल बिछाए
द्वार-देहरी नज़र न आएघर की राह दिखाना साथी!
दीपक एक जलाना साथीघर औ' बाहर लीप-पोतकर
कोने-आंतर झाड़-झूड़करमन का मैल छुड़ाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!एक हमारा, एक तुम्हारादीप जले,
चमके चौबारामिल-जुल पर्व मनाना साथी!दीपक एक जलाना साथी!!
आ सकता है कोई झोंका क्योंकि हवा को किसने रोका?
दोनों हाथ लगाना साथी!दीपक एक जलाना साथी!
( photograph by Dear Rohit's friend and poem sent by Dear Rakesh Jain)

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